क्या वैज्ञानिक भगवान को मानते है

क्या ईश्वर है

वैज्ञानिक समुदाय की विचारधारा के अनुसार, भगवान या ईश्वर जैसी अस्तित्वों का अनुमान वैज्ञानिक विधि द्वारा नहीं लगाया जा सकता। वैज्ञानिक विधि केवल उन विषयों पर आधारित होती है जो प्रयोग द्वारा परीक्षित और प्रमाणित हो सकते हैं।

अतः वैज्ञानिक समुदाय भगवान या ईश्वर जैसी अस्तित्वों को मानने या अनुमान लगाने के jagah, वे उन्हें आधारभूत नैतिकता, धार्मिक अनुभव और मानवीय भावनाओं के रूप में समझते हैं। इसके अलावा, कुछ वैज्ञानिक लोग धार्मिक और आध्यात्मिक परम्पराओं को वैज्ञानिक विधि के साथ समन्वय करने का प्रयास करते हैं, जिसे धार्मिक विज्ञान कहा जाता है।

क्या ईश्वर का अस्तित्व है

आज के युग में वैज्ञानिकता और धार्मिकता दो अलग-अलग Baate हैं। वैज्ञानिकता सैकड़ों सालों का विकास है, जबकि धार्मिकता हज़ार साल पूर्व से हमारी संस्कृति और जीवन में उपस्थित है। वैज्ञानिकता विश्वास करती है कि सब कुछ विज्ञान के द्वारा समझा जा सकता है, जबकि धार्मिकता में इश्वर, धर्म, आत्मा, मोक्ष जैसे विषय होते हैं जो विज्ञान से सिद्ध नहीं किए जा सकते।

हालांकि, वैज्ञानिकता और धार्मिकता के बीच एक समन्वय भी होता है। वैज्ञानिकता मानव जीवन को सुधारने के लिए उन्नत तकनीकी उपाय और तरीकों का विकास करती है जो हमारी जिंदगी को आसान बनाते हैं। धार्मिकता मानव जीवन को एक मूल्य और आदर्श से भरपूर बनाती है जो हमें सही और गलत का फर्क समझाती है।

कुछ लोग वैज्ञानिकता को धार्मिकता के विरोधी बताते हैं। वैज्ञानिक भी अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानते हैं। बहुत से वैज्ञानिक योग, मेडिटेशन, अध्ययन और सेवा आदि करते हैं जो उन्हें एक ऊंचे स्तर पर लेकर जाते हैं। इन सब कामों से वे अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और अपने जीवन में संतुलन बनाए रखते हैं।

धर्म में विभिन्न विषयों के अध्ययन से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। धर्म हमें सही राह दिखाता है जो हमें जीवन में संतुलन और शांति के साथ जीने के लिए आवश्यक होता है।

कुछ लोग मानते हैं कि ईश्वर सर्वोच्च और दुनिया का निर्माता है, और दुनिया का पालन-पोषण करता है। वे ईश्वर को सबसे बुद्धिमान, सबसे दयालु और सबसे प्रभावशाली मानते हैं।

दूसरी ओर, कुछ लोग ईश्वर को एक जानी-मानी शक्ति मानते हैं जो पूरे ब्रह्मांड को नियंत्रित करता है और सभी चीजों का निर्माण करता है।

आध्यात्मिक विचारधारा के अनुसार, ईश्वर एक अद्वितीय, अनन्त, ज्ञान स्वरूप, शक्तिमान एवं अनंत करुणामय होता है। वे सर्वशक्तिमान एवं सर्वज्ञ होते हैं और समस्त जीवों के भलाई के लिए कार्य करते हैं।

अन्य लोग ईश्वर को एक पारमात्मा मानते हैं जो समस्त जीवों और संसार का पालन-पोषण करता है।

Note

यह पोस्ट केवल सूचना (information) और शिक्षा (education purpose only) के उद्देश्य के लिए है। लेखक किसी भी परिणाम के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।

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